जब राखी बुआ की आँख खुली तो बाहर से ज़ोर-ज़ोर से दादी और मौसी दादी की हँसने की आवाज़ आ रही थी..साथ में रॉकी चाचा और माँ भी बातें कर रहे थे। राखी बुआ झट से उठीं तो उन्होंने देखा कि सूरज सर पर चढ़ आया है..
“बाबा रे..इतनी देर हो गयी और किसी ने मुझे जगाया भी नहीं”- तभी राखी बुआ को रसगुल्ला की याद आयी उन्होंने देखा रसगुल्ला तो उनके बाज़ू में है ही नहीं। अब वो झट से बाहर निकलीं और रसगुल्ला को खोजने लगीं। दादी और मौसी दादी ने राखी बुआ को देखकर कहा-
“रसगुल्ला को मानना पड़ेगा..राखी से इतनी जल्दी दोस्ती भी हो गयी”
“अरे मौसी..राखी को मिठाई बहुत पसंद है..बस इसीलिए रसगुल्ला से दोस्ती हो गयी..अब उसको एक दिन खा जाएगी..है न?”- रॉकी चाचा ये कहकर हँसने लगे। मौसी दादी और दादी भी उनकी हँसी में शामिल हो गए..
माँ ने कहा “क्या रॉकी भैया..आप भी न?”- माँ राखी बुआ को देखकर बोलीं- “चाय दे दूँ राखी..”
“नहीं भाभी..मैं ज़रा आयी”- कहकर राखी बाहर की ओर निकलीं..उन्होंने ख़ुद से ही कहाँ “आख़िर रसगुल्ला गया कहाँ?..वो ठीक तो है न”
राखी बुआ बाहर गयीं ती उन्होंने देखा ननकू और चीकू बैठे हैं लेकिन रसगुल्ला कहाँ है?..यही सोचते हुए जब वो और आगे आयीं तो उन्होंने देखा कि ननकू ने रसगुल्ला को गोद में बिठा रखा है और चीकू पास बैठा रसगुल्ला को प्यार से चाट रहा है। तीनों को देखकर राखी बुआ के चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी लेकिन उन्हें रसगुल्ला की चोट याद थी। अब रसगुल्ला कैसा है ये जानने के लिए राखी बुआ बहुत उत्सुक थीं। आख़िर वो ननकू के पास जाकर बैठ गयीं और प्यार से ननकू के सिर पर हाथ फेरा। ननकू ने राखी बुआ को देखा और बोला- “राखी बुआ रसगुल्ला को कैसे लग गयी?”
राखी बुआ ने ननकू को रात की सारी बात बतायी और बोलीं कि रसगुल्ला शायद नीचे उतर रहा था और गिर गया। ननकू ने प्यार से रसगुल्ला को सहलाया..राखी बुआ ने ननकू से रसगुल्ला को लिया और उसकी चोट को ध्यान से देखने लगीं। रसगुल्ला बार-बार आँखें बंद कर ले रहा था दर्द से ज़्यादा उसे डर लग रहा था। चीकू एक बार ज़ोर से भौंका राखी बुआ घबरा गयीं लेकिन ननकू ने झट से चीकू को चुप करवाया और राखी बुआ को समझाते हुए कहा-
“बुआ..रसगुल्ला को दर्द हो रहा है न इसलिए चीकू ऐसे ज़ोर से बोला”
राखी बुआ ने ज़रा हिम्मत करके चीकू के सिर पर हाथ फेरा तो चीकू भी चुप करके उन्हें देखने लगा। राखी बुआ ने कहा- “ननकू तू और चीकू नाश्ता कर लो..मैं रसगुल्ला को भी कुछ खिला देती हूँ फिर हम इसको डॉक्टर के पास ले जाएँगे..वो ठीक से देख लेंगे इसको कुछ हुआ तो नहीं”- ये कहकर राखी बुआ रसगुल्ला को लेकर उठने लगी कि ननकू बोला- “बुआ..डॉक्टर इसको सुई लगा देंगे न?”
बुआ प्यार से ननकू का सिर सहलाकर बोलीं- “बिलकुल भी नहीं..इसको तो छोटी सी चोट लगी है ऐसे ही ठीक हो जाएगी..अभी कुछ खिला देते हैं फिर चलेंगे..ठीक है?”
राखी बुआ ने जल्दी से चीकू और ननकू को नाश्ता दिया और रसगुल्ला को रात वाली कुर्सी में बिठा दिया। माँ भी किचन के दरवाज़े के पास खड़ी होकर राखी बुआ को देख रही थीं। राखी बुआ ने झट से एक कटोरी में दूध डाला और रसगुल्ला को दिया पर रसगुल्ला ने मुँह फेर लिया। राखी बुआ को समझ ही नहीं आया कि अब क्या करे कि माँ ने रसगुल्ला के लिए बोतल लाकर दी जिससे उसे रास्ते में कार में दूध पिलाए थे..
“इसमें दे दे दूध..मैं इसको पिला देती हूँ तू अपना काम कर ले”- राखी बुआ ने बोतल में दूध भरा और माँ रसगुल्ला को गोद में लेकर उसे बोतल से दूध पिलाने लगीं। ननकू और चीकू भी पास खड़े होकर देखने लगे। रसगुल्ला को भी एक्स्ट्रा प्यार पाकर मज़ा आ रहा था..इतने प्यार और भूक के मारे वो जल्दी-जल्दी दूध पीने लगा। जैसे ही दूध पीकर ख़त्म किया कि राखी बुआ ने कटोरी में आम के टूकड़े रख दिए..माँ ने रसगुल्ला को आम दिया तो रसगुल्ला धीरे-धीरे खाने लगा।
ननकू उदास होकर बोला- “माँ..रसगुल्ला आम के लिए भी नहीं उठ रहा..”
माँ उसे समझाते हुए बोलीं- “इसको चोट लगी है न इसीलिए..दो दिन में ठीक हो जाएगा फिर आम बचाएगा नहीं”
ननकू बोला- “मुझे और चीकू को भी आम खाना है”
“अच्छा बाबा..तुम दोनों को भी देती हूँ आम”- कहकर राखी बुआ उठीं और सीढ़ी के पास रखी टोकरी से आम निकालने लगीं। पीछे-पीछे रसगुल्ला को गोद में लेकर आयीं माँ ने जब आम देखा तो उन्हें समझ आया कि रसगुल्ला रात में नीचे क्यों उतरा था।
“लो भई ये रसगुल्ला मियाँ तो आम के चक्कर में गिर गए..पता है राखी ये रसगुल्ला न आम का दीवाना है..इसकी ख़ूशबू से ही ये नीचे आया होगा और गिर गया..मेरा बच्चा”- माँ ने रसगुल्ला को प्यार से दुलारा..रसगुल्ला धीरे से आँख खोलकर माँ को देखा और फिर आँख बंद करके सोने लगा।
“भाभी..हम इसको डॉक्टर के पास दिखा लाएँ?”- राखी बुआ ने पूछा
“हाँ..हाँ..ननकू..पापा को उठा ले..उनको भी साथ ले जाओ..”- माँ ने कहा
“मैं जाता हूँ न भाभी..भाईसाहब को सोने दो..सुबह से तो गाँव का चक्कर लगा के आए हैं अभी लेटे हैं..आराम करने दो उनको”- रॉकी चाचा झट से खड़े होकर रसगुल्ला को गोद में लेकर बोले।
राखी बुआ झट से तैयार होकर आयीं और फिर राखी बुआ, रॉकी चाचा और ननकू चल पड़े रसगुल्ला को लेकर डॉक्टर के पास..चीकू को पहले तो घर में छोड़ रहे थे लेकिन वो कहाँ रुकने वाला जब वो दौड़ता हुआ पीछे आ ही गया तो रॉकी चाचा ने उसको गोद में उठा लिया। रसगुल्ला को गोद में लिया राखी बुआ ने और ननकू चला साथ में।
(सभी रसगुल्ला को लेकर चल पड़े हैं डॉक्टर के पास..रसगुल्ला को चोट कैसे लगी ये तो पता चल गया लेकिन चोट ठीक कब होगी और क्या रसगुल्ला को लगेगी सुई..ये तो डॉक्टर ही बता सकते हैं..अभी तो आप और हम ये मनाते हैं कि रसगुल्ला को डॉक्टर सुई न लगाएँ..पर डॉक्टर की बात तो डॉक्टर ही जानते हैं..चलिए कल पता चलेगा कि डॉक्टर क्या कहते हैं..अभी तो हम भी चलते हैं इन सबके साथ)