रसगुल्ला को ज़ोरों की नींद आ रही थी और ननकू माँ से सवाल कर रहा था कि “माँ..रसगुल्ला कहाँ सोएगा?”
माँ का जवाब रसगुल्ला सुन पाता उससे पहले ही रसगुल्ला तो सो भी गया..ननकू की गोद में..रसगुल्ला को ठंडी लगने लगी थी उसने आँख खोली तो हर तरफ़ अँधेरा था। दूर में एक छोटा बल्ब जल रहा था उसकी रोशनी आ रही थी। रसगुल्ला ने पलटी ली कि ननकू की तरफ़ अच्छे से सो जाए..पर ये क्या?..ननकू तो था ही नहीं।
रसगुल्ला की नींद से भरी आँखें अब झटके से खुली..उसने पंजे से आँख मलकर देखा तो पाया कि उसके बाज़ू में तो चीकू सोया है और ननकू तो है ही नहीं। उसे तो ठीक से समझ भी नहीं आ रहा था कि आख़िर वो सोया कहाँ है?
उसे ठंड लग रही थी तो उसने देखा एक चादर उसके पास पड़ी हुई है वो झट से किसी तरह उसमें दुबकने की कोशिश करने लगा..लेकिन हर बार कहीं न कहीं से उसे ठंड लग जाती। आख़िर थककर उसने सोचा क्यों न पता लगाया जाए कि वो सोया कहाँ है? ये सोचकर रसगुल्ला अपनी जगह पर उठ खड़ा हुआ उसने अपनी चादर चीकू के ऊपर डाल दी। चीकू पहले ही आराम से सो रहा अब तो उसे और गर्माहट मिल गयी।
रसगुल्ला चुपके-चुपके अंधेरे में देखता हुआ आगे बढ़ा..समझ नहीं आ रहा था कि किधर जाए..उस तरफ़ कमरा था याद आते ही वो दौड़ा तो उस तरफ़ सीढ़ियाँ थी..रसगुल्ला को याद आया कि उधर तो नानी के घर कमरा था। रसगुल्ला को याद आया कि पहली बार वो नानी का घर ही तो देखा था..कितना प्यारा था वो घर..मस्त आम भी बग़ीचे में मिलते थे..आम के बारे में सोचते ही रसगुल्ला के पेट में गुड़गुड़ होने लगी।
रसगुल्ला को अचानक याद आया कि ननकू तो राखी बुआ के कमरे में सोया होगा..वो भी तो राखी बुआ के पास सोया था बाहर क्यों आया और वो झट से राखी बुआ के कमरे की ओर बढ़ने लगा तो उसे कमरा मिला ही नहीं और उसे याद आया कि हम तो राखी बुआ को छोड़कर आ गए हैं..अब क्या करूँ? रसगुल्ला को तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा था।
अब उसे वापस नींद आने लगी थी..आँखें बंद हो रही थी चलते-चलते उसके पैर डगमगा जाते पर वो जाए कहाँ अब तो उसे चीकू के पास जाने का रास्ता भी नहीं मिल रहा, ठंडी भी लग रही है। रसगुल्ला को कुछ समझ नहीं आ रहा था तो उसने मायूस आवाज़ में ननकू को पुकारा..और पुकारा। ननकू कहाँ गया उसकी आवाज़ क्यों नहीं सुनता? रसगुल्ला निराश होकर चुपके से वहीं बैठ गया..उसे ठंड लग रही थी तो सिकुड़कर ख़ुद में ही छुपने लगा।
तभी रसगुल्ला को नरम और गरम-गरम हाथों का स्पर्श मिला उसने पहले तो मुस्कुराकर आँखें बंद कर ली और गाल हाथों में लगा दिए फिर उसे लगा कहीं वो सपना तो नहीं देख रहा। ये सोचते ही रसगुल्ला ने छोटी-छोटी आँखें खोलकर देखा तो माँ ने उसका सिर थपककर कहा
“सो जा बच्चा..ठंडी लगी न..” रसगुल्ला ने झट से माँ के हाथों को चाटा, माँ ने प्यार से उसका सिर थपका तो रसगुल्ला को नींद आने लगी।
थोड़ी देर में रसगुल्ला को लगा कि माँ ने उसे गोद से उतार दिया हल्की सी ठंड लगी पर तुरंत उसके ऊपर चादर आ गयी। रसगुल्ला नींद में चौंका वो कहाँ सोने वाला है?..आँख खोलकर देखा तो माँ ने कहा “सो जा बच्चा..तेरे ननकू के पास सुलाया है..और बाहर घूमने नहीं जाना”
माँ ने उसे थपका और वो बाहर चली गयीं। रसगुल्ला ने देखा ननकू बाज़ू में सोया हुआ है रसगुल्ला और पास हो गया। ननकू ने नींद में ही रसगुल्ला पर हाथ रखा और बोला “रसगुल्ला..मेरे पास सो जा”..रसगुल्ला ख़ुश होकर सो गया। ननकू के पास अब उसको अच्छी नींद आने वाली थी।
(रसगुल्ला आख़िर पहुँच ही गया ननकू के पास..कितना सारा घुमा और ठंडी भी लगी उसको पर आख़िर उसे पता चल ही गया कि वो ननकू के पास सोएगा। अब तो उसकी जगह फ़िक्स हो गयी..लेकिन चीकू तो अभी भी बाहर सोया है रसगुल्ला को देखकर चीकू भी अपनी जगह बदलने की ज़िद न कर दे कहीं..ये सब तो सुबह पता चलेगा अभी तो रसगुल्ला और चीकू को सोने देते हैं)