हफ़ीज़ मेरठी के बेहतरीन शेर…

Hafeez Merathi Best Sher

Hafeez Merathi Best Sher कभी कभी हमें दुनिया हसीन लगती थी कभी कभी तिरी आँखों में प्यार देखते थे _____ रात को रात कह दिया मैंने सुनते ही बौखला गई दुनिया _____ जावेद अख़्तर के बेहतरीन शेर… ये भी तो सोचिए कभी तन्हाई में ज़रा दुनिया से हमने क्या लिया दुनिया को क्या दिया ____ … Read more

जावेद अख़्तर के बेहतरीन शेर…

Javed Akhtar Best Lines

Javed Akhtar Best Lines हम तो बचपन में भी अकेले थे सिर्फ़ दिल की गली में खेले थे जावेद अख़्तर ____ डर हमको भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा जावेद अख़्तर ____ हफ़ीज़ मेरठी के बेहतरीन शेर… याद उसे भी एक अधूरा अफ़्साना तो … Read more

गुलज़ार के बेहतरीन शेर..

Gulzar Best Sher

Gulzar Best Sher ~ आज के दौर के सबसे सम्मानित शाइरों का जब ज़िक्र होगा तो गुलज़ार का ज़िक्र सबसे पहले की फ़ेहरिस्त में होगा. 18 अगस्त 1934 को गुलज़ार का जन्म दीना में हुआ जो आज पाकिस्तान के पंजाब में है. गुलज़ार ने शाइरी तो की ही, साथ ही फ़िल्मों का निर्देशन भी किया. … Read more

गुलज़ार की किताब “ड्योढ़ी” की समीक्षा

Dyodhi Review

Dyodhi Review

“किताबों से कभी गुज़रो तो यूँ किरदार मिलते हैं
गए वक़्त की ड्योढ़ी में खड़े कुछ यार मिलते हैं”

बस कुछ इसी तरह कई किरदारों से मुलाक़ात हुई गुलज़ार की लिखी “ड्योढ़ी” को पढ़ते हुए. यूँ तो गुलज़ार के शब्दों को कई बार सुना है पर उन्हें पहली बार पढ़ा.
ड्योढ़ी कई छोटी कहानियों का संग्रह है और हर पहली कहानी दूसरी से बिलकुल अलग लगती है। इस एक संग्रह में गुलज़ार आपको कभी सीमा पार ले जाते हैं तो कभी आसमान की सैर करवाते हैं, कभी बचपन की मासूमियत से रुबरु करवाते हैं तो कभी फुटपाथ पर पलती ज़िन्दगी की मुश्किलों का अहसास करवाते हैं,कभी पहाड़ों की सैर करवाते हैं तो कभी आसमान में पतंग के साथ गोते लगवाते हैं। ज़िन्दगी में जिस तरह कई रंगों का समावेश है उसी तरह ये संग्रह भी आपको कभी ख़ुश, कभी भावुक तो कभी ठहाके मारने पर मजबूर करता है।

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दो शा’इर, दो ग़ज़लें(3): मुनीर नियाज़ी और गुलज़ार…

Munir Niazi Gulzar Ghazal ~ “साहित्य दुनिया” केटेगरी के अंतर्गत “दो शा’इर, दो ग़ज़लें” सिरीज़ में हम आज जिन दो शा’इरों की ग़ज़लें आपके सामने पेश कर रहे हैं वो हैं मुनीर नियाज़ी और सम्पूर्ण सिंह कालरा “गुलज़ार”. दोनों ही बहुत मो’अतबर नाम हैं. पढ़िए ग़ज़लें.. मुनीर नियाज़ी की ग़ज़ल: “बैठ जाता है वो जब … Read more