दिल टूटने पर शेर..

Breakup shayari Ab Aur Kya Kisi Se Marasim Badhayen Hum Koo Ba Koo Phail Gayi Baat Shanasayi Ki Rehman Faris Shayari Zulf Shayari

Breakup shayari ~ वो जो हम में तुम में क़रार था तुम्हें याद हो कि न याद हो वही या’नी वा’दा निबाह का तुम्हें याद हो कि न याद हो मोमिन ख़ान मोमिन (Momin Khan Momin) _________ कभी हम में तुम में भी चाह थी कभी हमसे तुमसे भी राह थी कभी हम भी तुम … Read more

मीर के मशहूर शेर

Meer Taqi Meer ki shayari. Ghazal Shayari Maqta संज्ञा के प्रकार ह वाले शब्द Sangya Ke Bhed

Meer Taqi Meer जिन जिन को था ये इश्क़ का आज़ार मर गए अक्सर हमारे साथ के बीमार मर गए _____ दिखाई दिए यूँ कि बे-ख़ुद किया हमें आपसे भी जुदा कर चले _____ इश्क़ माशूक़ इश्क़ आशिक़ है यानी अपना ही मुब्तला है इश्क़ Meer Taqi Meer _____ कहते तो हो यूँ कहते यूँ … Read more

मीर तक़ी मीर की शायरी

Meer Taqi Meer Shayari Jinke Liye Apne To

Meer Taqi Meer Shayari 1. फ़क़ीराना आए सदा कर चले, मियाँ ख़ुश रहो हम दुआ कर चले 2. जो तुझ बिन न जीने को कहते थे हम सो इस अहद को अब वफ़ा कर चले 3. वो क्या चीज़ है आह जिसके लिए हर इक चीज़ से दिल उठा कर चले 4. कोई ना-उमीदाना करते … Read more

“ये खटमल ये मक्खी ये मच्छर की दुनिया”- अहमद अल्वी

ये खटमल ये मक्खी ये मच्छर की दुनिया ये लंगूर भालू ये बंदर की दुनिया ये कुत्तों गधों और ख़च्चर की दुनिया ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है ये चोरों ये लुच्चों लफ़ंगों की दुनिया ये कमज़ोरों की और दबंगों की दुनिया तप-ए-दिक़ के बीमार चंगों की दुनिया ये दुनिया अगर मिल … Read more

‘मेरे बुज़ुर्गों ने मुझको तहज़ीब सिखाई चार बजे’

बैठे-बिठाए हो गई घर में मार-कुटाई चार बजे मेरे बुज़ुर्गों ने मुझको तहज़ीब सिखाई चार बजे उल्टी हो गईं सब तदबीरें कुछ न दुआ ने काम किया अम्मी और अब्बा ने मिल कर मेरा काम तमाम किया आज मुहल्ले-भर में गूँजी मेरी दुहाई चार बजे मेरे बुज़ुर्गों ने मुझको तहज़ीब सिखाई चार बजे नाहक़ हम … Read more

दो शाइर, दो ग़ज़लें (23): राजेन्द्र मनचंदा बानी और अहमद फ़राज़

अहमद फ़राज़ मनचंदा बानी

(अहमद फ़राज़ मनचंदा बानी) राजेन्द्र मनचंदा “बानी” की ग़ज़ल ऐ दोस्त मैं ख़ामोश किसी डर से नहीं था क़ाइल ही तिरी बात का अंदर से नहीं था हर आँख कहीं दौर के मंज़र पे लगी थी बेदार कोई अपने बराबर से नहीं था क्यूँ हाथ हैं ख़ाली कि हमारा कोई रिश्ता जंगल से नहीं था … Read more

दो शाइर, दो नज़्में(12): मजाज़ और मख़दूम

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Majaz Shayari Hindi असरार उल हक़ ‘मजाज़’ की नज़्म: बोल! अरी ओ धरती बोल! बोल! अरी ओ धरती बोल! राज सिंघासन डाँवाडोल बादल बिजली रैन अँधयारी दुख की मारी प्रजा सारी बूढ़े बच्चे सब दुखिया हैं दुखिया नर हैं दुखिया नारी बस्ती बस्ती लूट मची है सब बनिए हैं सब ब्योपारी बोल! अरी ओ धरती … Read more

दो शाइर, दो ग़ज़लें (23): असग़र गोंडवी और अल्लामा इक़बाल

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असग़र गोंडवी अल्लामा इक़बाल असग़र गोंडवी की ग़ज़ल: जीने का न कुछ होश न मरने की ख़बर है जीने का न कुछ होश न मरने की ख़बर है ऐ शोबदा-पर्दाज़ ये क्या तर्ज़-ए-नज़र है सीने में यहाँ दिल है न पहलू में जिगर है अब कौन है जो तिश्ना-ए-पैकान-ए-नज़र है है ताबिश-ए-अनवार से आलम तह-ओ-बाला … Read more

दो शाइर, दो ग़ज़लें (22): मिर्ज़ा ग़ालिब और परवीन शाकिर…

Best Urdu Rubai Shaam Shayari Har Haqeeqat Majaz Ho Jaye Tagore ki Kahani Bhikharin Parveen Shakir Shayari

Parveen Shakir Shayari उर्दू की बेहतरीन ग़ज़लें (रदीफ़ और क़ाफ़िए की जानकारी के साथ) मिर्ज़ा ग़ालिब की ग़ज़ल घर हमारा जो न रोते भी तो वीराँ होता बहर गर बहर न होता तो बयाबाँ होता तंगी-ए-दिल का गिला क्या ये वो काफ़िर-दिल है कि अगर तंग न होता तो परेशाँ होता बाद यक-उम्र-ए-वरा बार तो … Read more

मजरूह सुल्तानपुरी की ग़ज़लें

Majrooh Sultanpuri Ki Ghazal

Majrooh Sultanpuri Ki Ghazal ग़ज़ल 1 डरा के मौज ओ तलातुम से हम-नशीनों को यही तो हैं जो डुबोया किए सफ़ीनों को शराब हो ही गई है ब-क़द्र-ए-पैमाना ब-अज़्म-ए-तर्क निचोड़ा जब आस्तीनों को जमाल-ए-सुब्ह दिया रू-ए-नौ-बहार दिया मिरी निगाह भी देता ख़ुदा हसीनों को हमारी राह में आए हज़ार मय-ख़ाने भुला सके न मगर होश … Read more