Shayari Kaise Karte hain: पिछले बार जब हमने बात की थी तो ये बताया था कि ग़ज़ल में एक ज़मीन होती है और वज़्न के बारे में भी कुछ बहुत शुरू’अ की बातें की थीं.हमने वज़्न लेने के लिए बताया था कि हम गणित के 1 और 2 के आधार पर इसे समझेंगे. पिछली बार हमने बताया था कि सभी मज़बूत आवाज़ की मात्राओं को 2 वज़्न पर लेंगे जबकि सभी कमज़ोर आवाज़ की मात्राओं को 1 पर, साथ ही साथ जो अक्षर अकेले कोई दम नहीं रखते उन्हें पास के अक्षर से मिला कर पढेंगे और उसको 2 मानेंगे. इसी कड़ी में हम आज बात कर रहे हैं. उदाहरण के तौर पर अगर लफ़्ज़ मुहब्बत लें तो. मुहब्बत लफ़्ज़ को अगर समझें तो ‘मु’ की अपनी एक आवाज़ है लेकिन ये आवाज़ कम दम वाली है और इसमें मात्रा उ की है तो इसे हम “1” वज़्न देंगे जबकि “हब्” साथ में ही आएगा, इन दो अक्षरों को अलग करना मुमकिन नहीं है इसलिए इनको साथ ही लेंगे और वज़्न “2” ले लेंगे, इसी आधार पर “बत” भी रहेगा और इसका वज़्न भी “2” रहेगा. इस आधार पर “मुहब्बत” शब्द का वज़्न “122” होगा. (मुहब्बत: मु-1, हब्-2, बत-2)
इसी आधार पर समझने की कोशिश करें तो जैसे लफ़्ज़ ग़म है, इसमें ग़ और म को अलग अलग पढ़ने पर बहुत अच्छा नहीं लगेगा, इन दोनों अक्षरों की मज़बूती तब है जबकि ये साथ पढ़े जाएँ, इसलिए इसका वज़्न 2 होगा.
ग़म- 2,
ख़ुद- 2 (ख़ुद के दोनों अक्षर साथ ही पढ़े जायेंगे इसलिए इसका वज़्न 2 होगा)
दिल- 2
इक- 2
एक- 21 (ए-2 क-1) [उर्दू में एक (ایک) को लिखने के लिए तीन अक्षर का इस्तेमाल होता है, पहले दो अक्षर की आवाज़ से “ए” बनता है, इसलिए उसका वज़्न 2 लिया जाता है, और क का वज़्न 1 लिया जाता है)
कौन- 21 (कौ न)
आप- 21 (आ प)
चमन- 12 (च मन)
अगर- 12 (अ गर)
मगर- 12 (म गर)
अदालत- 122 (अ-1, दा-2, लत-2)
मुजरिम- 22 (मुज रिम)
रिमझिम- 22 (रिम झिम)
आदमी- 212 (आ द मी)
आरज़ू- 212 (आ र ज़ू)
Shayari Kaise Karte hain