Urdu Shayari Behr बह्र ए हज़ज सालिम
आज हम आपको उर्दू शाइरी में इस्तेमाल की जाने वाली जिस बह्र के बारे में बताने जा रहे हैं उसका नाम है बह्र ए हज़ज. इसका रुक्न “मु-फ़ा-ई-लुन” (1-2-2-2) है जिसके बारे में हम पहले भी चर्चा कर चुके हैं. इस बात को समझना बहुत ज़रूरी है कि जो भी ग़ज़ल इस बह्र में होगी उसमें मु-फ़ा-ई-लुन” (1-2-2-2) का इस्तेमाल होगा, अब वो 2 बार आये, तीन बार आये, चार बार आये या 8 बार आये.
मुरब’अ: मु-फ़ा-ई-लुन मु-फ़ा-ई-लुन(1-2-2-2 1-2-2-2) [इसमें मु-फ़ा-ई-लुन रुक्न दो बार आया है]
शे’र:
कहीं कुर्सी पे बैठें हम,
करें बातें मुहब्बत की
इस शेर को तक़ती’अ करके देखिये-
क-1, हीं-2, कुर्-2, सी-2, पे-1, बै-2, ठें-2, हम-2
क-1, रें-2, बा-2, तें-2, मु-1, हब्-2, ब्त-2, की-2
दोनों मिसरों को ध्यान से देखिये, मिसरा ए ऊला (पहले मिसरे) में 1-2-2-2 1-2-2-2 का इस्तेमाल हुआ है और यही दूसरे मिसरे में हुआ है. एक भी गिनती इधर से उधर होने पर शेर बे-वज़्नी कहा जाएगा.
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मुसद्दस: मु-फ़ा-ई-लुन मु-फ़ा-ई-लुन मु-फ़ा-ई-लुन (1-2-2-2 1-2-2-2 1-2-2-2) [इसमें मु-फ़ा-ई-लुन रुक्न में तीन बार आया है]
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मसम्मन: मु-फ़ा-ई-लुन मु-फ़ा-ई-लुन मु-फ़ा-ई-लुन मु-फ़ा-ई-लुन (1-2-2-2 1-2-2-2 1-2-2-2 1-2-2-2 )[इसमें मु-फ़ा-ई-लुन रुक्न चार बार आया है]
शेर:
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले (ग़ालिब)
इस शेर को तक़ती’अ करके देखिये-
ह-1, जा-2, रों-2, ख्व़ा-2, हि-1, शें-2, ऐ-2, सी-2, कि-1, हर-2, ख्व़ा-2, हिश-2, पे-1, दम-2, निक-2, ले-2
ब-1, हुत-2, निक-2, ले-2, मि-1, रे-2, अर-2, मा-2, न-1, ले-2, किन-2, फिर-2, भी-1, कम-2, निक-2, ले-2
इसी बह्र में यास यगाना चंगेज़ी की ग़ज़ल का मतला और एक शेर-
मुझे दिल की ख़ता पर ‘यास’ शरमाना नहीं आता,
पराया जुर्म अपने नाम लिखवाना नहीं आता
मुसीबत का पहाड़ आख़िर किसी दिन कट ही जाएगा,
मुझे सर मार कर तेशे से मर जाना नहीं आता
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मुइज़ाफ़ी मुसम्मन: मु-फ़ा-ई-लुन मु-फ़ा-ई-लुन मु-फ़ा-ई-लुन मु-फ़ा-ई-लुन मु-फ़ा-ई-लुन मु-फ़ा-ई-लुन मु-फ़ा-ई-लुन मु-फ़ा-ई-लुन (1-2-2-2 1-2-2-2 1-2-2-2 1-2-2-2 1-2-2-2 1-2-2-2 1-2-2-2 1-2-2-2) [इसमें मु-फ़ा-ई-लुन रुक्न आठ बार आया है]