Urdu Sahitya क़त्आ– दो या दो से अधिक शे’रों में जब एक विषय को शा’इरी में शामिल करने की कोशिश की जाती है तो शे’रों के इस समूह को क़त्’आ कहते हैं. क़त्आ ग़ज़ल के अन्दर भी हो सकते हैं और उसके बाहर भी, इसमें कोई पाबंदी जैसी चीज़ नहीं है.
रूबाई– रूबाई चार-चार मिसरों की ऐसी शा’इरी को कहते हैं जिनके पहले, दूसरे और चौथे मिसरों का एक ही रदीफ़, क़ाफ़िये में होना ज़रूरी है. इसमें एक बात समझनी ज़रूरी है कि ग़ज़ल के लिए प्रचलित 35-36 बह्र में से कोई भी रूबाई के लिए इस्तेमाल में नहीं लायी जाती है. रूबाइयों के लिए चौबीस छंद अलग से तय हैं, रूबाई इन चौबीस बह्रों में कही जाती है.
हम्द– ख़ुदा की तारीफ़ में जब कोई कविता कही जाती है तो उसे हम्द कहा जाता है.
न’अत– इस्लाम धर्म के संस्थापक और आख़िरी पैग़म्बर हज़रत मुहम्मत की तारीफ़ में कही गयी कविताओं को न’अत कहा जाता है.
सलाम और नौहा– हज़रत हुसैन की शहादत पर मायूसी जताने की कविताओं को इसके अंतर्गत रखा जाता है. Urdu Sahitya
मुख़म्मस– ये ऐसी कविता को कहा जाता है जिसमें पाँच-पाँच मिसरों के बंद होते हैं. इसमें चार मिसरों में एक ही रदीफ़-क़ाफ़िये होते हैं और पाँचवे में अलग लेकिन सारे बंदों के पाँचवे मिसरे एक ही रदीफ़-क़ाफ़िये पर ख़त्म होते हैं. कभी-कभी यूँ भी होता है कि आख़िर में बार-बार एक ही मिसरा आता है.
मुसद्दस– 6-6 मिसरों के बंद वाली नज़्म को मुसद्दस कहते हैं.
मुसम्मन– 8-8 मिसरों के बंद वाली नज़्म को मुसम्मन कहा जाता है.
शेर क्या है?
ग़ज़ल क्या है?
शायरी सीखें: क़ाफ़िया क्या है?
रदीफ़ क्या है?
शायरी क्या है?
नज़्म क्या है?
शायरी सीखें: क्या होती है ज़मीन, रदीफ़, क़ाफ़िया….
क्या होता है ‘फ़र्द’ ?
ग़ज़ल में मक़ता क्या होता है?
शायरी सीखें: ग़ज़ल का मतला क्या होता है?
न’अत क्या होती है?