तेरे लिए सब छोड़ के तेरा न रहा मैं – अब्बास ताबिश
तेरे लिए सब छोड़ के तेरा न रहा मैं दुनिया भी गई इश्क़ में तुझ से भी गया मैं इक सोच में गुम हूँ तिरी दीवार से लग कर मंज़िल पे पहुँच कर भी ठिकाने न लगा मैं वर्ना कोई कब गालियाँ देता है किसी को ये उस का करम है कि तुझे याद रहा … Read more