Sher Kaise Likhen शे’र: दो मिसरों की ऐसी कविता जिसके दोनों मिसरे एक बह्र और एक ही ज़मीन पर हों, शे’र कहलाती है. शे’र अगर मत’ला है तो दोनों मिसरों में रदीफ़ और क़ाफ़िए की पाबंदी होगी अन्यथा सिर्फ़ मिसरा-ए-सानी (दूसरे मिसरे) में रदीफ़, क़ाफ़िए की पाबंदी होगी.
मिसरा: किसी भी पंक्ति (लाइन) को मिसरा कहते हैं.
मिसरा-ए-ऊला: शे’र के पहले मिसरे को मिसरा ए ऊला (ऊला मिसरा) कहते हैं.
मिसरा-ए-सानी: शे’र के दूसरे या’नी अंतिम मिसरे को मिसरा-ए-सानी कहते हैं.
मोमिन का ये शेर देखें..
तुम मेरे पास होते हो गोया,
जब कोई दूसरा नहीं होता (मोमिन)
[इस शेर में “तुम मेरे पास होते हो गोया” मिसरा ए ऊला है जबकि “जब कोई दूसरा नहीं होता” मिसरा ए सानी है]
शेर के अन्य उदाहरण ~
याद करना हर घड़ी तुझ यार का,
है वज़ीफ़ा मुझ दिल ए बीमार का (वली दकनी)
किसी को अपने अमल का हिसाब क्या देते
सवाल सारे ग़लत थे जवाब क्या देते (मुनीर नियाज़ी)
किस ने भीगे हुए बालों से ये झटका पानी,
झूम के आई घटा टूट के बरसा पानी (आरज़ू लखनऊ)
साहिर की एक ग़ज़ल के दो शेर देखिये-
मुहब्बत तर्क की मैंने गरेबाँ सी लिया मैंने
ज़माने अब तो ख़ुश हो ज़हर ये भी पी लिया मैंने
उन्हें अपना नहीं सकता मगर इतना भी क्या कम है
कि कुछ मुद्दत हसीं ख़्वाबों में खो कर जी लिया मैंने (साहिर लुधियानवी)
साहिर की ग़ज़ल में ‘लिया मैंने’ रदीफ़ है जबकि क़वाफ़ी ‘सी, पी, जी’ हैं. मतले में शेर के दोनों मिसरों में रदीफ़ और क़ाफ़िए की पाबंदी दिखती है जबकि दूसरे शेर में ये पाबंदी सिर्फ़ आख़िरी मिसरे में है.
Sher Kaise Likhen
ग़ज़ल क्या है?
शायरी सीखें: क़ाफ़िया क्या है?
रदीफ़ क्या है?
शायरी क्या है?
नज़्म क्या है?
शायरी सीखें: क्या होती है ज़मीन, रदीफ़, क़ाफ़िया….
क्या होता है ‘फ़र्द’ ?
ग़ज़ल में मक़ता क्या होता है?
शायरी सीखें: ग़ज़ल का मतला क्या होता है?
न’अत क्या होती है?
शायरी सीखें ~ क़त्आ, रूबाई, हम्द….