मैं अब विदा लेता हूँ – पाश

Kamar Best Shayari Khushbu Shayari Ashu Mishra Shayari

Main Ab Vida Leta Hoon Paash अवतार सिंह संधू “पाश” का जन्म पंजाब के तलवंडी सलेम में हुआ था. वो पंजाबी भाषा के मशहूर कवि थे. मैं अब विदा लेता हूँ मेरी दोस्त, मैं अब विदा लेता हूँ मैंने एक कविता लिखनी चाही थी सारी उम्र जिसे तुम पढ़ती रह सकतीं उस कविता में महकते … Read more

दिल को छू लेने वाले ख़ूबसूरत शेर..

Chaand Shayari Ishq ab meri jaan hai goya - Jaleel Manikpuri

Deep Shayari हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले, बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले मिर्ज़ा ग़ालिब _________ निकलना ख़ुल्द से आदम का सुनते आए हैं लेकिन, बहुत बे-आबरू हो कर तिरे कूचे से हम निकले मिर्ज़ा ग़ालिब ________ हमको उनसे वफ़ा की है उम्मीद जो नहीं जानते वफ़ा क्या … Read more

बहज़ाद लखनवी के बेहतरीन शेर…

Behzad Lucknowi Best Sher Urdu Words for Shayari

Behzad Lucknowi Best Sher ऐ जज़्बा-ए-दिल गर मैं चाहूँ हर चीज़ मुक़ाबिल आ जाए मंज़िल के लिए दो गाम चलूँ और सामने मंज़िल आ जाए बहज़ाद लखनवी _______ ऐ दिल की ख़लिश चल यूँही सही चलता तो हूँ उनकी महफ़िल में उस वक़्त मुझे चौंका देना जब रंग पे महफ़िल आ जाए बहज़ाद लखनवी _______ … Read more

रहमान फ़ारिस के बेहतरीन शेर

Breakup shayari Ab Aur Kya Kisi Se Marasim Badhayen Hum Koo Ba Koo Phail Gayi Baat Shanasayi Ki Rehman Faris Shayari Zulf Shayari

Rehman Faris Shayari यही दुआ है यही है सलाम इश्क़ ब-ख़ैर मिरे सभी रुफ़क़ा-ए-किराम इश्क़ ब-ख़ैर ये रह ज़रूर तुम्हारे ही घर को जाती है लिखा हुआ है यहाँ गाम गाम इश्क़ ब-ख़ैर शजर ने पूछा कि तुझमें ये किसकी ख़ुशबू है हवा-ए-शाम-ए-अलम ने कहा उदासी की तुम तो दरवाज़ा खुला देख के दर आए … Read more

चाँद का मुँह टेढ़ा है ~ गजानन माधव मुक्तिबोध

Chand Ka Munh Tedha Hai Main Tum Logon Se Door Hoon Gajanan Madhav Muktibodh

Chand Ka Munh Tedha Hai ~ चाँद का मुँह टेढ़ा है ~ गजानन माधव मुक्तिबोध नगर के बीचों-बीच आधी रात—अँधेरे की काली स्याह शिलाओं से बनी हुई भीतों और अहातों के, काँच-टुकड़े जमे हुए ऊँचे-ऊँचे कंधों पर चाँदनी की फैली हुई सँवलाई झालरें। कारख़ाना—अहाते के उस पार धूम्र मुख चिमनियों के ऊँचे-ऊँचे उद्गार—चिह्नाकार—मीनार मीनारों के … Read more

मैं तुम लोगों से दूर हूँ ~ गजानन माधव मुक्तिबोध

Chand Ka Munh Tedha Hai Main Tum Logon Se Door Hoon Gajanan Madhav Muktibodh

Main Tum Logon Se Door Hoon ~ मैं तुम लोगों से दूर हूँ ~ गजानन माधव मुक्तिबोध मैं तुम लोगों से इतना दूर हूँ तुम्हारी प्रेरणाओं से मेरी प्रेरणा इतनी भिन्न है कि जो तुम्हारे लिए विष है, मेरे लिए अन्न है। मेरी असंग स्थिति में चलता-फिरता साथ है, अकेले में साहचर्य का हाथ है, … Read more