Laddakh Review Mahendra Singh ~ कहते हैं अगर आपको ख़ुद को पहचानना हो तो यात्रा करनी चाहिए। अक्सर हम ख़ुद से मुलाक़ात कर पाते हैं जब हम यात्रा में होते हैं, आने वाली तरह-तरह की परिस्थितियों में हमारा व्यवहार किस तरह का होता है और हम किस तरह से उन परिस्थितियों को समझते हैं और उनके साथ संतुलन बनाते हैं, ये सभी अनुभव यात्रा के दौरान होता है। और एक बात भी जो यात्रा हमें सिखाती है वो ये कि हम अपने परिवार के साथ किस तरह से जुड़े हुए हैं साथ ही परिवार के सदस्यों का व्यवहार कैसा है। आज के समय में ये कटु सत्य है कि घर में साथ रहते हुए हम अपने परिवार से उस तरह से नहीं मिल पाते जैसे हम किसी सफ़र के दौरान मिल पाते हैं।
रसगुल्ला के डॉक्टर
जैसे ही राखी बुआ और रॉकी चाचा के साथ ननकू, रसगुल्ला और चीकू अस्पताल पहुँचे कि ननकू तो आँखें बड़ी-बड़ी करके इधर- उधर देखने लगा नज़ारा ही ऐसा था। आसपास गाय, भैंस, बकरी का इलाज चल रहा था। ननकू तो बस उन्हें देखा ही जा रहा था कि इलाज करवाती गाय ज़ोर से रंभायी..ननकू ही … Read more