Urdu Shayari Shabd अज़ीज़(عزیز): अज़ीज़ एक ऐसा लफ़्ज़ है जिसे अक्सर लोग अजीज़ बोलते हैं. कुछ लोगों का नाम भी अज़ीज़ है लेकिन उनको भी लोग अजीज़ ही कहते पाए जाते हैं, हालाँकि सही लफ़्ज़ अज़ीज़ है. अजीज़ भी लफ़्ज़ होता है लेकिन उसका अर्थ अलग होता है.अज़ीज़ का अर्थ प्यारा होता है लेकिन अजीज़ का अर्थ नपुंसक होता है. उर्दू शाइरी में अज़ीज़ का वज़्न 121 लिया जाता है. (अ-1,ज़ी-2,ज़-1) [वज़्न अजीज़ का भी यही होगा क्यूँकि बोलते वक़्त हर्फ़ों की जुगलबंदी बिलकुल एक जैसी ही है]
अख़्तर शीरानी का शे’र देखिये-
“ग़म अज़ीज़ों का हसीनों की जुदाई देखी,
देखें दिखलाए अभी गर्दिश-ए-दौराँ क्या क्या”
[नोट-इस शे’र में अज़ीज़ों का इस्तेमाल किया गया है, अज़ीज़ों का वज़़्न 122 होगा (अ-1,ज़ी-2,जों-2)]
शब ब’खै़र (شب بخیر) – इसका अर्थ है आपकी रात खै़र से गुज़रे. अक्सर इसे लोग शब्बा-खै़र कहते हैं जबकि सही लफ़्ज़ शब-ब’खै़र है.
जौन एलिया के शे’र में शब-ब’खै़र का इस्तेमाल देखिये-
“शाम-ब-ख़ैर शब-ब-ख़ैर मौज-ए-शमीम-ए-पैरहन,
तेरी महक रहेगी याँ शाम-ब-ख़ैर शब-ब’ख़ैर”
मस्जिद (مسجد): नमाज़ पढ़ने की जगह को मस्जिद कहा जाता है. हालाँकि ज़्यादातर लोग इसे सही तरह से ही बोलते हैं लेकिन कुछ लोग इसका उच्चारण मज्जिद करते हैं जो कि बिलकुल ग़लत है. मस्जिद का वज़्न 22 होगा (मस्-2, जिद-2).
निदा फ़ाज़ली का मशहूर शे’र देखें-
“घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूँ कर लें,
किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाए” Urdu Shayari Shabd
शमअ’ (شمع): शम’अ का अर्थ है चराग़, मोमबत्ती, दीपक. इस लफ़्ज़ को अक्सर लोग शम्मा कहते हुए सुनाई देते हैं जबकि ये उच्चारण ग़लत है. इसको सही तरह से शमअ’ ही कहा जाता है. शम’अ का वज़्न 21 होगा (शम-2, अ’-1).
यास यगाना चंगेज़ी का शे’र देखिये-
“शमअ’ क्या शमअ’ का उजाला क्या,
दिन चढ़े सामना करे कोई”