मिर्ज़ा रफ़ी सौदा की रुबाइयाँ और ग़ज़लें

Mirza Rafi Sauda Shayari

Mirza Rafi Sauda Shayari रुबाइयाँ Mirza Rafi Sauda Shayari 1. गर यार के सामने मैं रोया तो क्या, मिज़्गाँ में जो लख़्त-ए-दिल पिरोया तो क्या ये दाना-ए-अश्क सब्ज़ होना मालूम इस शूर ज़मीं में तुख़्म बोया तो क्या 2. ऐ शैख़-ए-हरम तक तुझे आना जाना, ये तौफ़ जुलाहे काहे ताना बाना पहचानेगा वाँ क्या उसे … Read more

वज़्न करने का तरीक़ा (7)

Ghazal Likhne Ka Tareeka ख और ख़ वाले शब्द ज और ज़ वाले शब्द

Ghazal Likhne Ka Tareeka शा’इरी में यूँ तो ख़याल की पुख़्तगी बहुत अहम् है लेकिन सिर्फ़ अच्छा या नया ख़याल होना ही शा’इरी नहीं हो जाएगा. ये बात बहुत ठीक से समझने की है कि शा’इरी सिर्फ़ फ़िलोसफ़ी नहीं है, फ़लसफ़े के साथ आहंग या मौसिक़ीयत (संगीत) का होना भी उतना ही ज़रूरी है. आजकल … Read more

मजाज़ की ग़ज़लें

Manchanda Bani Majaz Shayari Majaz Ki Shayari

Majaz Ki Shayari ~ असरार उल हक़ ‘मज़ाज’ की कुछ ग़ज़लें यहाँ हम पेश कर रहे हैं। मुलाहिज़ा फ़रमाएँ – दिल-ए-ख़ूँ-गश्ता-ए-जफ़ा पे कहीं अब करम भी गराँ न हो जाए तेरे बीमार का ख़ुदा-हाफ़िज़ नज़्र-ए-चारा-गराँ न हो जाए इश्क़ क्या क्या न आफ़तें ढाए हुस्न गर मेहरबाँ न हो जाए मय के आगे ग़मों का … Read more

मजाज़ की ग़ज़ल: “जिगर और दिल को बचाना भी है”

wo humsafar tha वो हम-सफ़र था मगर उससे हम-नवाई न थी Urdu ke Mushkil Lafz Akhtar Ul Iman Shayari Majaz Shayari Famous Barish Shayari Barsaat Shayari Baarish Shayari Hindi Kahani Arghwan Rabbhi Urdu Lafz Aghori Ka Moh Acaharya Ram Chandra Shukl Ki Kahani Gyaarah Varsh Ka Samay Jigar aur dil ko bachana

Jigar aur dil ko bachana जिगर और दिल को बचाना भी है, नज़र आप ही से मिलाना भी है मुहब्बत का हर भेद पाना भी है मगर अपना दामन बचाना भी है जो दिल तेरे ग़म का निशाना भी है क़तील-ए-जफ़ा-ए-ज़माना भी है ये बिजली चमकती है क्यूँ दम-ब-दम चमन में कोई आशियाना भी है … Read more

मिर्ज़ा ग़ालिब की रुबाइयाँ…

Mirza Ghalib ki shayari Ghalib Shayari Rubai Naqsh Fariyadi Hai Dard Minnat Kash Yak Zarra e Zamin Nahini Bekaar Baagh Ka Mirza Ghalib ke sher

मिर्ज़ा ग़ालिब (27 दिसंबर, 1796 – 15 फ़रवरी 1869) (Ghalib Shayari Rubai) उर्दू के सबसे महान शा’इरों में शुमार किये जाते हैं.उनकी ग़ज़लें तो सभी जानते हैं कि कितनी मक़बूल हैं लेकिन उनकी रुबाइयाँ भी उतनी ही मज़ेदार और प्यारी हैं. 1. आताशबाज़ी है जैसे शग़्ले-अत्फ़ाल है सोज़े-जिगर का भी इसी तौर का हाल था … Read more

ग़ालिब के ख़तों के बारे में और उनका मुंशी हरगोपाल ‘तफ़्ता’ को लिखा ख़त

Ghalib ka khat .. मिर्ज़ा ग़ालिब परवीन शाकिर Urdu Shayari Shabd Ghalib Shayari Parveen Shakir Shayari Top Urdu Shayari Ghalib Ke Khat Ghalib Ke Baare Mein

Ghalib Ke Khat : मिर्ज़ा ग़ालिब (Mirza Ghalib) की शा’इरी के तो सभी दीवाने हैं लेकिन बात नस्र की करें तो उसमें भी ग़ालिब अव्वल ही आते हैं. उनके बारे में फ़िराक़ गोरखपुरी अपनी किताब ‘उर्दू भाषा और साहित्य’ में लिखते हैं,”ग़ालिब से पहले फ़ारसी के ढंग पर उर्दू के मुंशी लोग बनावटी और भारी … Read more

मीर मेंहदी के नाम मिर्ज़ा ग़ालिब का ख़त..

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Ghalib ka khat- मीर मेंहदी के नाम मिर्ज़ा ग़ालिब का ख़त जाने-ग़ालिब ! अब की ऐसा बीमार हो गया था कि मुझको ख़ुद अफ़सोस था. पांचवें दिन ग़िज़ा खायी. अब अच्छा हूँ. तंदरुस्त हूँ, ज़िलहिज्ज १२७६ हिजरी तक कुछ खटका नहीं है. मुहर्रम की पहली तारीख़ से अल्लाह मालिक है. मीर नसीर उद्दीन आये कई … Read more