Manchanda Bani Best Sher
जाने वो कौन था और किसको सदा देता था
उससे बिछड़ा है कोई इतना पता देता था
राजेन्द्र मनचंदा बानी
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मिर्ज़ा जाफ़र अली ‘हसरत’ की शायरी
बगूले उस के सर पर चीख़ते थे
मगर वो आदमी चुप ज़ात का था
राजेन्द्र मनचंदा बानी
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ऐ दोस्त मैं ख़ामोश किसी डर से नहीं था
क़ाइल ही तिरी बात का अंदर से नहीं था
राजेन्द्र मनचंदा बानी
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कोई भी घर में समझता न था मिरे दुख सुख
एक अजनबी की तरह मैं ख़ुद अपने घर में था
राजेन्द्र मनचंदा बानी
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उस्तादों के उस्ताद शायरों के 400 शेर…
अजीब तजरिबा था भीड़ से गुज़रने का
उसे बहाना मिला मुझसे बात करने का
राजेन्द्र मनचंदा बानी
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ओस से प्यास कहाँ बुझती है
मूसला-धार बरस मेरी जान
राजेन्द्र मनचंदा बानी
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वो टूटते हुए रिश्तों का हुस्न-ए-आख़िर था
कि चुप सी लग गई दोनों को बात करते हुए
राजेन्द्र मनचंदा बानी
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‘बानी’ ज़रा सँभल के मुहब्बत का मोड़ काट
इक हादसा भी ताक में होगा यहीं कहीं
राजेन्द्र मनचंदा बानी
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ज़रा छुआ था कि बस पेड़ आ गिरा मुझ पर
कहाँ ख़बर थी कि अंदर से खोखला है बहुत
राजेन्द्र मनचंदा बानी
आज फिर गर्दिश-ए-तक़दीर पे रोना आया – शकील बदायूँनी
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आज क्या लौटते लम्हात मयस्सर आए
याद तुम अपनी इनायात से बढ़ कर आए
राजेन्द्र मनचंदा बानी
साहिर लुधियानवी: संगीतकार से भी ज़्यादा शोहरत कमाने वाला गीतकार
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ढलेगी शाम जहाँ कुछ नज़र न आएगा
फिर इस के ब’अद बहुत याद घर की आएगी
राजेन्द्र मनचंदा बानी
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उदास शाम की यादों भरी सुलगती हवा
हमें फिर आज पुराने दयार ले आई
राजेन्द्र मनचंदा बानी
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Manchanda Bani Best Sher
अपनी शायरी में इन शब्दों का बार-बार इस्तेमाल करते हैं तहज़ीब हाफ़ी…
मन में गहरे पैठती हैं, ममता सिंह के कहानी संग्रह ‘किरकिरी’ की हर कहानी
दकनी शायर: बीजापुर और गोलकुंडा के दरबार की शायरी
मुहम्मद रफ़ी साहब द्वारा गायी गई ग़ज़लें…
यूनिवर्सिटी छात्रों को पसंद आने वाली शायरी