दो शाइर, दो नज़्में(6): जाँ निसार अख़्तर और जिगर श्योपुरी
Mohabbat Shayari Nazm जाँ निसार अख़्तर की नज़्म: तजज़िया मैं तुझे चाहता नहीं लेकिन, फिर भी जब पास तू नहीं…
हिन्दी और उर्दू साहित्य का संगम
Shayari
‘साहित्य दुनिया’ के ज़रिए कोशिश ये है कि लोगों की रूचि साहित्य और भाषा में बढ़े। ये साहित्य और भाषा से जुड़ी बातों को बड़े-बड़े और गम्भीर वाक्यों से न समझाकर उसे सरल, बोलचाल की भाषा में आम जन तक पहुँचाने का प्रयास है।
Mohabbat Shayari Nazm जाँ निसार अख़्तर की नज़्म: तजज़िया मैं तुझे चाहता नहीं लेकिन, फिर भी जब पास तू नहीं…
परवीन शाकिर की ग़ज़ल: Koo Ba Koo Phail Gayi Baat Shanasayi Ki कू-ब-कू फैल गई बात शनासाई की, उसने ख़ुशबू…
Farhat Ehsas Nazm फ़रहत एहसास की नज़्म: ख़ुद-आगही वो कैसी तारीक घड़ी थी, जब मुझको एहसास हुआ था मैं तन्हा…
Jigar aur dil ko bachana जिगर और दिल को बचाना भी है, नज़र आप ही से मिलाना भी है मुहब्बत…
मिर्ज़ा ग़ालिब (27 दिसंबर, 1796 – 15 फ़रवरी 1869) (Ghalib Shayari Rubai) उर्दू के सबसे महान शा’इरों में शुमार किये…
फ़ानी बदायूँनी की ग़ज़ल: हम मौत भी आए तो मसरूर नहीं होते Hum Maut Bhi Aaye to Masroor Nahin Hote…
Makhdoom Aur Faiz Ki Nazm मख़दूम मुहिउद्दीन की नज़्म: “चारागर” इक चमेली के मंडवे-तले मय-कदे से ज़रा दूर उस मोड़…
Parveen Shakir Sardar Jafri: साहित्य दुनिया में हम आज ‘दो शा’इर, दो नज़्में’ सीरीज़ शुरू’अ कर रहे हैं.आज हम परवीन…
मई दिवस पर साहित्य दुनिया की ओर से पाठकों के लिए पेश कर रहे हैं सलाम मछली शहरी की मशहूर…
Ghalib Ke Khat : मिर्ज़ा ग़ालिब (Mirza Ghalib) की शा’इरी के तो सभी दीवाने हैं लेकिन बात नस्र की करें…