‘ग़म’ शब्द पर ख़ूबसूरत शेर

Dard Bhari Shayari Best Urdu Ghazals Bewafai Shayari

Gham Shayari हमने तो कोई बात निकाली नहीं ग़म की वो ज़ूद-पशीमान पशीमान सा क्यूँ है शहरयार ___ पत्थर के जिगर वालो ग़म में वो रवानी है ख़ुद राह बना लेगा बहता हुआ पानी है बशीर बद्र ___ हुआ जब ग़म से यूँ बे-हिस तो ग़म क्या सर के कटने का न होता गर जुदा … Read more

ख़ुशबू शायरी

Kamar Best Shayari Khushbu Shayari Ashu Mishra Shayari

Khushbu Shayari वो तो ख़ुशबू है हवाओं में बिखर जाएगा मसअला फूल का है फूल किधर जाएगा परवीन शाकिर _____ मुहब्बत एक ख़ुशबू है हमेशा साथ चलती है कोई इंसान तन्हाई में भी तन्हा नहीं रहता बशीर बद्र ____ सलीक़े से हवाओं में जो ख़ुशबू घोल सकते हैं अभी कुछ लोग बाक़ी हैं जो उर्दू … Read more

गर बाज़ी इश्क़ की बाज़ी है जो चाहो लगा दो डर कैसा

Gar Baazi Ishq Ki Baazi hai ~ Faiz Ahmed Faiz कब याद में तेरा साथ नहीं कब हात में तेरा हाथ नहीं सद-शुक्र कि अपनी रातों में अब हिज्र की कोई रात नहीं मुश्किल हैं अगर हालात वहाँ दिल बेच आएँ जाँ दे आएँ दिल वालो कूचा-ए-जानाँ में क्या ऐसे भी हालात नहीं जिस धज … Read more

क्या होती है ग़ज़ल और क्या है नज़्म?

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Ghazal Aur Nazm Mein Farq
ग़ज़ल:
ग़ज़ल में एक ही ज़मीन होती है और पूरी ग़ज़ल एक बह्र में ही कही जाती है. मत’ला के दोनों मिसरे रदीफ़ और क़ाफ़िये पर ख़त्म होते हैं जबकि बाक़ी शे’रों में सिर्फ़ दूसरे मिसरे ही रदीफ़ और क़ाफ़िये में बंधे होते हैं. एक ग़ज़ल में एक से अधिक मत’ले हो सकते हैं.

मा’नी के लिहाज़ से ग़ज़ल के हर शे’र का अपना अलग अर्थ होता है. ग़ज़ल में शे’रों की संख्या निर्धारित नहीं है, फिर भी ये माना जाता है कि इसमें कम से कम पांच शे’र तो होने ही चाहियें और अधिक से अधिक शे’रों की कोई सीमा नहीं है . पुराने ज़माने में लोग ये मानते थे कि ग़ज़ल में अश’आर (शे’रों) की संख्या विषम होनी चाहिए लेकिन इस नियम का ना तब कोई पालन करता था और ना ही आज इस पर कोई ध्यान देता है, यूँ भी इस नियम का कोई मतलब भी नहीं है. Ghazal Aur Nazm Mein Farq
एक बात यहाँ बताते चलें कि अक्सर लोगों को ये लगता है कि पूरी ग़ज़ल एक ही टॉपिक पर होती है लेकिन ऐसा नहीं है. हर शे’र अपने आप में मुक़म्मल है और मतलब के लिहाज़ से इसका दूसरे शे’र से कोई सम्बन्ध नहीं होता.कुल मिलाकर बस रदीफ़, क़ाफ़िया और एक ही बह्र का होना ज़रूरी है.

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मीर के मशहूर शेर

Meer Taqi Meer ki shayari. Ghazal Shayari Maqta संज्ञा के प्रकार ह वाले शब्द Sangya Ke Bhed

Meer Taqi Meer जिन जिन को था ये इश्क़ का आज़ार मर गए अक्सर हमारे साथ के बीमार मर गए _____ दिखाई दिए यूँ कि बे-ख़ुद किया हमें आपसे भी जुदा कर चले _____ इश्क़ माशूक़ इश्क़ आशिक़ है यानी अपना ही मुब्तला है इश्क़ Meer Taqi Meer _____ कहते तो हो यूँ कहते यूँ … Read more

मिर्ज़ा ग़ालिब के मशहूर शेर

Mirza Ghalib ki shayari Ghalib Shayari Rubai Naqsh Fariyadi Hai Dard Minnat Kash Yak Zarra e Zamin Nahini Bekaar Baagh Ka Mirza Ghalib ke sher

Mirza Ghalib ke sher कोई उम्मीद बर नहीं आती कोई सूरत नज़र नहीं आती _____ जान दी, दी हुई उसी की थी हक़ तो यूँ है कि हक़ अदा न हुआ ______ ज़िंदगी यूँ भी गुज़र ही जाती क्यूँ तिरा राहगुज़र याद आया ______ हुई मुद्दत कि ‘ग़ालिब’ मर गया पर याद आता है वो … Read more

ग़ज़ल में मक़ता क्या होता है?

Meer Taqi Meer ki shayari. Ghazal Shayari Maqta संज्ञा के प्रकार ह वाले शब्द Sangya Ke Bhed

मक़ता: ग़ज़ल का आख़िरी शे’र मक़ता कहलाता है.अक्सर इसमें शा’इर अपने तख़ल्लुस (pen name) का इस्तेमाल करता है. Ghazal Shayari Maqta तख़ल्लुस: शा’इर जिस नाम से शा’इरी करता है उसे तख़ल्लुस कहते हैं जैसे रघुपति सहाय गोरखपुरी का तख़ल्लुस ‘फ़िराक़’ है जिन्हें हम ‘फ़िराक़’ गोरखपुरी के नाम से जानते हैं. मुहम्मद अल्वी की इस ग़ज़ल … Read more

दो शा’इर, दो ग़ज़लें (9): मुनीर नियाज़ी और अमीर मीनाई….

Munir Niazi Poetry In Hindi Zinda Rahen To Kya Mar Jayen Hum To Kya Munir Niazi Shayari

मुनीर नियाज़ी की ग़ज़ल: ज़िंदा रहें तो क्या है जो मर जाएँ हम तो क्या (Zinda Rahen To Kya Mar Jayen Hum To Kya) ज़िंदा रहें तो क्या है जो मर जाएँ हम तो क्या, दुनिया से ख़ामुशी से गुज़र जाएँ हम तो क्या हस्ती ही अपनी क्या है ज़माने के सामने, इक ख़्वाब हैं … Read more

दो शा’इर, दो ग़ज़लें(7): जाँ निसार अख़्तर और महशर बदायूँनी…

Subah Shayari Morning Shayari Good Morning Shayari Famous Film Shayari Aahat Si Koi Aaye To Lagta Hai Ke Tum Ho Premchand Ki Kahani Vinod Munshi Premchand Ki Kahani Vinod Hindi Sahityik Kahani Vinod Zauq Ki Shayari

Aahat Si Koi Aaye To Lagta Hai Ke Tum Ho जाँ निसार अख़्तर की ग़ज़ल: आहट सी कोई आए तो लगता है कि तुम हो, आहट सी कोई आए तो लगता है कि तुम हो, साया कोई लहराए तो लगता है कि तुम हो जब शाख़ कोई हाथ लगाते ही चमन में, शरमाए लचक जाए … Read more

दो शा’इर, दो ग़ज़लें(1): जिगर मुरादाबादी और साहिर लुधियानवी….

त वाले शब्द Sher Ka Wazn अ वाले शब्द Salam Machhlishahri Ki Nazm

आज से हमने “साहित्य दुनिया” पर एक नयी सीरीज़ शुरू करने की सोची है. हम अब लगातार अपने पाठकों के लिए मशहूर शा’इरों की ग़ज़लें भी साझा किया करेंगे. इस सिलसिले को शुरू करते हुए हम आज दो ग़ज़लें आपके सामने पेश कर रहे हैं, एक ग़ज़ल जिगर मुरादाबादी की है जबकि दूसरी ग़ज़ल साहिर … Read more