पेड़ पर शायरी

Javed ya Zaved असग़र गोंडवी अल्लामा इक़बाल Mohabbat Shayari Nazm Mohabbat Shayari Nazm हिन्दी व्याकरण ए और ऐ Urdu Shayari Meter Zehra Nigah Shayari Best Urdu Shayari Abdul Hamid Adam Shayari wazeer aagha ghazal aise Usne Kaha Tha Hindi Ki Pahli Kahani Satyajeet Ray Ki Kahani Sahpathi Urdu Shayari Tree

Urdu Shayari Tree ~ वो जिसकी छाँव में पच्चीस साल गुज़रे हैं वो पेड़ मुझ से कोई बात क्यूँ नहीं करता तहज़ीब हाफ़ी ___ पेड़ मुझे हसरत से देखा करते थे मैं जंगल में पानी लाया करता था तहज़ीब हाफ़ी ____ सो गए पेड़ जाग उठी ख़ुश्बू ज़िंदगी ख़्वाब क्यूँ दिखाती है जौन एलिया ___ … Read more

फूल पर शायरी

Phool Shayari

Phool Shayari काँटों में घिरे फूल को चूम आएगी लेकिन तितली के परों को कभी छिलते नहीं देखा परवीन शाकिर ______ फिर छिड़ी रात बात फूलों की रात है या बरात फूलों की मख़दूम मुहीउद्दीन ______ फूल के हार फूल के गजरे शाम फूलों की रात फूलों की मख़दूम मुहीउद्दीन _______ आपका साथ-साथ फूलों का … Read more

मिर्ज़ा रफ़ी सौदा की रुबाइयाँ और ग़ज़लें

Mirza Rafi Sauda Shayari

Mirza Rafi Sauda Shayari रुबाइयाँ Mirza Rafi Sauda Shayari 1. गर यार के सामने मैं रोया तो क्या, मिज़्गाँ में जो लख़्त-ए-दिल पिरोया तो क्या ये दाना-ए-अश्क सब्ज़ होना मालूम इस शूर ज़मीं में तुख़्म बोया तो क्या 2. ऐ शैख़-ए-हरम तक तुझे आना जाना, ये तौफ़ जुलाहे काहे ताना बाना पहचानेगा वाँ क्या उसे … Read more

ग़ज़ल में मक़ता क्या होता है?

Meer Taqi Meer ki shayari. Ghazal Shayari Maqta संज्ञा के प्रकार ह वाले शब्द Sangya Ke Bhed

मक़ता: ग़ज़ल का आख़िरी शे’र मक़ता कहलाता है.अक्सर इसमें शा’इर अपने तख़ल्लुस (pen name) का इस्तेमाल करता है. Ghazal Shayari Maqta तख़ल्लुस: शा’इर जिस नाम से शा’इरी करता है उसे तख़ल्लुस कहते हैं जैसे रघुपति सहाय गोरखपुरी का तख़ल्लुस ‘फ़िराक़’ है जिन्हें हम ‘फ़िराक़’ गोरखपुरी के नाम से जानते हैं. मुहम्मद अल्वी की इस ग़ज़ल … Read more

जावेद अख़्तर की किताब “तरकश” की समीक्षा

Tarkash Review

Tarkash Review: अक्सर हिंदी में शामिल उर्दू लफ़्ज़ों का सही प्रयोग और उनका उच्चारण सीखना मुश्किल लगता है। लेकिन जहाँ चाह वहाँ राह बस कुछ इसी तर्ज़ पर कुछ ऐसी पुस्तकों को पढ़ने का विचार आया, जिसमे हिंदी के साथ उर्दु लफ्ज़ शामिल हों और वो बहुत ज्यादा कठिन भी न हों…ऐसे में सबसे पहली … Read more

गुलज़ार की किताब “ड्योढ़ी” की समीक्षा

Dyodhi Review

Dyodhi Review

“किताबों से कभी गुज़रो तो यूँ किरदार मिलते हैं
गए वक़्त की ड्योढ़ी में खड़े कुछ यार मिलते हैं”

बस कुछ इसी तरह कई किरदारों से मुलाक़ात हुई गुलज़ार की लिखी “ड्योढ़ी” को पढ़ते हुए. यूँ तो गुलज़ार के शब्दों को कई बार सुना है पर उन्हें पहली बार पढ़ा.
ड्योढ़ी कई छोटी कहानियों का संग्रह है और हर पहली कहानी दूसरी से बिलकुल अलग लगती है। इस एक संग्रह में गुलज़ार आपको कभी सीमा पार ले जाते हैं तो कभी आसमान की सैर करवाते हैं, कभी बचपन की मासूमियत से रुबरु करवाते हैं तो कभी फुटपाथ पर पलती ज़िन्दगी की मुश्किलों का अहसास करवाते हैं,कभी पहाड़ों की सैर करवाते हैं तो कभी आसमान में पतंग के साथ गोते लगवाते हैं। ज़िन्दगी में जिस तरह कई रंगों का समावेश है उसी तरह ये संग्रह भी आपको कभी ख़ुश, कभी भावुक तो कभी ठहाके मारने पर मजबूर करता है।

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राईशा लालवानी की किताब “The diary on the Fifth Floor” की समीक्षा

The diary on the Fifth Floor Review

The diary on the Fifth Floor Review ~ Raisha Lalwani इन दिनों हम कितनी बेवजह की उलझनों में उलझे रहते हैं..।इन मानसिक उलझनों का हल हमारे पास ही है बस वो कहीं नज़र नहीं आता और हम इन उलझनों को सुलझाने की बजाय और ज़्यादा उलझते जाते हैं। कुछ समझ नहीं आता और पता भी … Read more

‘आपका बंटी’- मन्नू भंडारी (समीक्षा)

Aapka Bunty Review

Aapka Bunty Review ~ “बस चली तो सबके बीच हँसते-बतियाते उसे ऐसा लगा जैसे सारे दिन ख़ूब सारी पढ़ाई करके घर की ओर लौट रहा है; तभी ख़याल आया- “धत्त वो तो स्कूल जा रहा है” इस एक वाक्य में बंटी के मन की मनस्थिति ज़ाहिर हो जाती है। जब आपको घर से ज़्यादा, बाहर आनंद … Read more