ताज़ा मुहब्बतों का नशा जिस्म-ओ-जाँ में है – परवीन शाकिर

ताज़ा मुहब्बतों का नशा जिस्म-ओ-जाँ में है फिर मौसम-ए-बहार मिरे गुल्सिताँ में है इक ख़्वाब है कि बार-ए-दिगर देखते हैं…

नुक़्ते वाले और बिना नुक़्ते वाले (6): क्या है बिंदी का फ़र्क़..

Urdu Hindi Nuqte Wale उर्दू वर्णमाला में कुछ ऐसे अक्षर हैं जिनके बारे में अक्सर हिंदी भाषी कुछ परेशान से…